फेसबुकिया यारों ने भी 'Like' मार-मार कर अपनी 'ड्यूटी' पूरी कर दी । बेटा भी अपने मोबाइल पर पिताजी की हालत 'Update' करता रहा । पिताजी व्याकुल आँखों से अपने 'व्यस्त' बेटे से बात करने को तरसते रहे...!
आज बेटे ने देखा कि पिताजी की हालत कुछ ज्यादा ख़राब है ! पुराना वक्त होता तो बेटा भागता हुआ डाक्टर को गुहार लगाता, पर उसने झट से 'बदहवास' पिता की एक-दो फोटो और खींच कर 'Condition critical' के स्टेटस के साथ अपलोड कर दी, फेसबुकिया यारों ने हर बार की तरह इस बार भी अपनी ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभा दी ।
दो-चार घनिष्ठ मित्रों ने बेहद मार्मिक कमेंट कर अपने संवेदनशील होने का प्रमाण दिया । 'वाह ! इनकी आँख के आँसू भी साफ दिख रहे हैं । 'फोटो कैमरे से लिया है या मोबाइल से ?'
तभी नर्स आई - 'आप ने पेशेंट को दवाई दी ?
दवाई ?
बिगड़ी हालत देख, नर्स ने घंटी बजाई 'इन्हें एमरजेंसी में ले जा रहे हैं !'
थोड़ी देर में 'बेटा' लिखता है- 'पिताजी चल बसे ! सॉरी..नो फोटो..मेरे पिताजी का अभी-अभी देहांत हो गया ! ICU में फोटो खींचनी अलाउड नहीं थी....'
कुछ कमेंट्स आए - 'ओह, आखरी वक्त में आप फोटो भी नहीं खींच पाए !'
'अस्पताल को अंतिम समय पर यादगार के लिए फोटो खींचने देना चाहिए थी !'
'RIP' 'RIP'
'अंतिम विदाई की फोटो जरूर अपलोड करना'
पिताजी चले गए थे... पर बेटा संतुष्ट था.... इतने 'लाइक' और 'कमेंट्स' उसे पहले कभी नहीं आए थे....
कुछ खास रिश्तेदार अस्पताल आ गए थे... कुछ एक ने उसे गले लगाया... गले लगते हुए भी बेटा मोबाइल पर कुछ लिख रहा था ।
बेटा कितना कर्त्तव्यनिष्ठ था ! बाप के जाने के समय भी.... सबको 'थैंक्स टू ऑल' लिख रहा था...!
रिश्ते अपना नया अर्थ खोज रहे थे !
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