एक पिता ने अपने पुत्र की बहुत अच्छी परवरिश की । उसे अच्छी तरह से पढ़ाया, लिखाया, तथा उसकी सभी सुकामनाओ की पूर्ति की ।
कालान्तर में वह पुत्र एक सफल इंसान बना और एक मल्टीनेशनल कंपनी में सी.ई.ओ. बन गया ।
उच्च पद, अच्छा वेतन, सभी सुख सुविधांए उसे कंपनी की और से प्रदान की गई । समय गुजरता गया उसका विवाह एक सुलक्षणा कन्या से हो गया, और उसके परिवार में एक सुन्दर कन्या भी पुत्री स्वरुप आ गई । पिता अब बूढा हो चला था । एक दिन पिता को पुत्र से मिलने की इच्छा हुई और वो पुत्र से मिलने उसके ऑफिस में गया ।
वहां उसने देखा कि उसका पुत्र एक शानदार ऑफिस का अधिकारी बना हुआ है, उसके ऑफिस में सैंकड़ो कर्मचारी उसके अधीन कार्य कर रहे है ! ये सब देख कर पिता का सीना गर्व से फूल गया ।
वो चुपके से उसके चेंबर में पीछे से जाकर उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ा हो गया और उसने प्यार से अपने पुत्र से पूछा - "यहाँ सबसे शक्तिशाली इंसान कौन है" ? पुत्र ने पिता को बड़े प्यार से हंसते हुए कहा "मेरे अलावा कौन हो सकता है पिताजी " ।
पिता को इस जवाब की आशा नहीं थी, उसे विश्वास था कि उसका बेटा गर्व से कहेगा - पिताजी यहाँ सब से शक्तिशाली इंसान आप हैं, जिन्होंने मुझे इस योग्य बनाया ।
उनकी आँखे छलछला आई ! वो चेंबर के गेट को खोल कर बाहर निकलने लगे । न जाने क्या सोचकर उन्होंने एक बार पीछे मुड़ कर पुनः बेटे से पूछा- एक बार फिर बताओ यहाँ सब से शक्तिशाली इंसान कौन है ?
पुत्र ने इस बार कहा- "पिताजी आप हैं, यहाँ सब से शक्तिशाली इंसान" । पिता सुनकर आश्चर्यचकित हो गए उन्होंने कहा "अभी तो तुम अपने आप को यहाँ सब से शक्तिशाली इंसान बता रहे थे अब तुम मुझे बता रहे हो" ?
पुत्र ने इस बार कहा- "पिताजी आप हैं, यहाँ सब से शक्तिशाली इंसान" । पिता सुनकर आश्चर्यचकित हो गए उन्होंने कहा "अभी तो तुम अपने आप को यहाँ सब से शक्तिशाली इंसान बता रहे थे अब तुम मुझे बता रहे हो" ?
पुत्र ने हंसते हुए ससम्मान उन्हें अपने सामने बिठाते हुए कहा - "पिताजी उस समय आप का हाथ मेरे कंधे पर था, जिस पुत्र के कंधे पर या सिर पर पिता का हाथ हो वो पुत्र तो सबसे शक्तिशाली इंसान ही होगा ना, बोलिए पिताजी" ।
पिता की आँखे भर आई उन्होंने अपने पुत्र को कस कर के अपने गले लग लिया । सच ही है जिस के कंधे पर या सिर पर पिता का हाथ होता है, वो ही इस दुनिया में सब से शक्तिशाली इंसान होता है ।
सदैव अपने बुजुर्गों का सम्मान करें । क्योंकि न सिर्फ हमारी सफलता के पीछे वे ही होते हैं बल्कि वे होते हैं तो हम होते हैं ।
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